Their Words, Their Voice

Ghazals, Nazms....

Saturday, July 23, 2005

शौक से नाक़ामी की बदौलत

Lyricist:
Singer: Ghulam Ali

शौक से नाक़ामी की बदौलत कूचा-ए-दिल ही छूट गया
सारी उम्मीदें टूट गईं दिल बैठ गया जी छूट गया।

लीजिए क्या दामन की ख़बर और दस्त-ए-जुनूँ को क्या कहिए
अपने ही हाथ से दिल का दामन मुद्दत गुज़री छूट गया।

मंज़िल-ए-इश्क पे तनहा पहुँचे कोई तमन्ना साथ न थी
थक थक कर इस राह में आख़िर इक इक साथी छूट गया।

फ़ानी हम तो जीते-जी वो मैयत हैं बे-गोर-ओ-कफ़न
गुरबत जिसको रास न आई और वतन भी छूट गया।

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कूचा = Lane, A narrow street
दस्त = Hands
जुनूँ = जुनून = Ecstasy, Frenzy, Insanity
फ़ानी = Mortal
मैयत = Corpse
गोर = Tomb
कफ़न = Cloth To Cover The Corpse, Shroud
गुरबत = Exile


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