शौक से नाक़ामी की बदौलत
Lyricist:
Singer: Ghulam Ali
शौक से नाक़ामी की बदौलत कूचा-ए-दिल ही छूट गया
सारी उम्मीदें टूट गईं दिल बैठ गया जी छूट गया।
लीजिए क्या दामन की ख़बर और दस्त-ए-जुनूँ को क्या कहिए
अपने ही हाथ से दिल का दामन मुद्दत गुज़री छूट गया।
मंज़िल-ए-इश्क पे तनहा पहुँचे कोई तमन्ना साथ न थी
थक थक कर इस राह में आख़िर इक इक साथी छूट गया।
फ़ानी हम तो जीते-जी वो मैयत हैं बे-गोर-ओ-कफ़न
गुरबत जिसको रास न आई और वतन भी छूट गया।
--
कूचा = Lane, A narrow street
दस्त = Hands
जुनूँ = जुनून = Ecstasy, Frenzy, Insanity
फ़ानी = Mortal
मैयत = Corpse
गोर = Tomb
कफ़न = Cloth To Cover The Corpse, Shroud
गुरबत = Exile
Categories: Misc
0 Comments:
Post a Comment
<< Home