Their Words, Their Voice

Ghazals, Nazms....

Tuesday, October 04, 2005

Bye Bye Blogger...

The immense need of categorization for this blog forces me to shift to wordpress. The blog has been shifted to

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Friday, August 12, 2005

कह रहा है आपका हर शख़्स दीवाना हमें

Lyricist: Hasrat Jaipuri
Singer: Hussain Brothers

नूर-ए-अनवर से अँधेरे को मिटाया आपने
और क़िस्मत का सितारा जगमगाया आपने।
ख़ुशबू-ए-अफ़ज़ल ज़माना हमको कहता है मग़र
आज हम जो कुछ भी हैं हमको बनाया आपने।

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कह रहा है आपका हर शख़्स दीवाना हमें
आप ही के नाम से दुनिया ने पहचाना हमें।

आपके दम से ही क़ायम है निज़ाम-ए-ज़िन्दग़ी
एक पल के वास्ते भी छोड़ न जाना हमें।

दोस्तों का प्यार, हसरत और फिर उसका करम
अहल-ए-फ़न अहल-ए-नज़र हर बज़्म ने जाना हमें।

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नूर = Luminescence, Luster
अनवर = Light
अफ़ज़ल = Prime
निज़ाम = Arrangement, Establishment, Order, Organisation
अहल = One who is, Resident, Member
बज़्म = Gathering


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Thursday, August 11, 2005

नज़र मुझसे मिलाती हो

Lyricist: Hasrat Jaipuri
Singer: Hussain Brothers

नज़र मुझसे मिलाती हो तो तुम शरमा-सी जाती हो
इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं।

जबाँ ख़ामोश है लेकिन निग़ाहें बात करती हैं
अदाएँ लाख भी रोको अदाएँ बात करती हैं।
नज़र नीची किए दाँतों में उँगली को दबाती हो।
इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं।

छुपाने से मेरी जानम कहीं क्या प्यार छुपता है
ये ऐसा मुश्क है ख़ुशबू हमेशा देता रहता है।
तुम को सब जानती हो फिर भी क्यों मुझको सताती हो?
इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं।

तुम्हारी प्यार का ऐसे हमें इज़हार मिलता है
हमारा नाम सुनते ही तुम्हारा रंग खिलता है
और फिर साज़-ए-दिल पे तुम हमारे गीत गाती हो।
इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं।

तुम्हारे घर में जब आऊँ तो छुप जाती हो परदे में
मुझे जब देख ना पाओ तो घबराती हो परदे में
ख़ुद ही चिलमन उठा कर फिर इशारों से बुलाती हो।
इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं।


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Wednesday, August 10, 2005

तू मेरे साथ न चल

Lyricist: Hasrat Jaipuri
Singer: Hussain Brothers

तू मेरे साथ न चल, ऐ मेरी रूह-ए-ग़ज़ल
लोग बदनाम न कर दें तू इरादों को बदल।

मैंने माना कि बहुत प्यार किया है तूने
साथ ही जीने का इकरार है तूने
मान ले बात मेरी देख तू इस राह न चल।

साथ देखेंगे तो फिर लोग कहेंगे क्या-क्या
सोच ले, सोच ले इलज़ाम धरेंगे क्या-क्या
ऐ मेरी परदा-नशीं देख न परदे से निकल।

अपनी उलफ़त पे कभी आँच न आ जाए कहीं
तेरी रुसवाई हो ये बात गँवारा ही नहीं।
देख नादान न बन, होश में आ, यूँ न मचल।


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Tuesday, August 09, 2005

जो थके थके से थे हौसले

Lyricist:
Singer: Mehdi Hasan


जो ग़म-ए-हद से दूर थे वो ख़ुद अपनी आग में जल गए
जो ग़म-ए-हद को पा गए वो ग़मों से हँस के निकल गए।

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जो थके थके से थे हौसले वो शबाब बन के मचल गए
जो नज़र नज़र से गले मिली तो बुझे चिराग भी जल गए।

ये शिक़स्त-ए-दर्द की करवटें भी बड़ी लतीफ़-ओ-जुनून
मैं नज़र झुका के तड़प गया वो नज़र बचा के निकल गए।

न ख़िज़ाँ में है कोई तीरगी न बहार में है कोई रोशनी
ये नज़र-नज़र के चिराग हैं कहीं बुझ गए कहीं जल गए।

जो सँभल-सँभल के बहक गए वो फ़रेब ख़ुर्द-ए-राह थे
वो मक़ाम इश्क को पा गए जो बहक बहक के सँभल गए।

जो खिले हुए हैं रबिश-रबिश वो हज़ार हुस्न पे मर कहीं
मग़र उन गुलों का जवाब क्या जो क़दम-क़दम पे कुचल गए।

न वो .... गम न बना न वो दाग़-ए-दिल न वो आरज़ू
जिन्हें एतमाद-ए-बहार था वो ही फूल रंग बदल गए।

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Am not sure if I have heard लतीफ़-ओ-जुनून correctly. Further, what is the meaning of रबिश-रबिश? And could not at all make out what was there in the beginning of the last sher न वो .... गम न बना.

Any help?

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शिक़स्त = Breach, Breakage, Defeat
ख़िज़ाँ = Autumn, Decay
तीरगी = Darkness
ख़ुर्द = Little
एतमाद = Faith

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Monday, August 08, 2005

तेरे भीगे बदन की खुशबू से

Lyricist: Kaleem Usmani
Singer: Mehdi Hasan

तेरे भीगे बदन की खुशबू से लहरें भी हुईं मस्तानी सी
तेरा ज़ुल्फ़ को छूकर आज हुई ख़ामोश हवा दीवानी सी।

ये रूप का कुंदन दहका हुआ ये जिस्म का चंदन महका हुआ
इलज़ाम न देना फिर मुझको हो जाए अगर नादानी सी।

बिखरा हुआ काजल आँखों में तूफ़ान की हलचल साँसों में
ये नर्म लबों की ख़ामोशी पलकों में छुपी हैरानी सी।

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Sunday, August 07, 2005

ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं

Lyricist: Qateel Shifai
Singer: Mehdi Hasan

ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।

तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है।
इक ज़रा-सा ग़म-ए-दौराँ का भी हक़ है जिसपर
मैंने वो साँस भी तेरे लिए रख छोड़ी है।
तुझ पे हो जाऊँगा क़ुर्बान तुझे चाहूँगा
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।

अपना जज़्बात में नग़मात रचाने के लिए
मैंने धड़कन की तरह दिल में बसाया है तुझे।
मैं तसव्वुर भी जुदाई का भला कैसे करूँ
मैंने क़िस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे।
प्यार का बन के निगाह-बान तुझे चाहूँगा
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।

तेरी हर चाप से जलते हैं ख़यालों में चिराग
जब भी तू आए जगाता हुआ जादू आए।
तुझको छू लूँ तो फिर ऐ जान-ए-तमन्ना मुझको
देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आए।
तू बहारों का है उनवान तुझे चाहूँगा।
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा।

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तसव्वुर = Contemplation, Fancy, Idea,Imagination
निगाह-बान = Guard, Janitor, Keeper, Protector
उनवान = Form, Label, Legend, Preface, Title

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