मैंने लाखों के बोल सहे
Lyricist:
Singer: Ghulam Ali
प्रीतम प्रीत लगा के दूर देश न जा
बसो हमारी नागरी हम माँगे तू खा।
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मैंने लाखों के बोल सहे सितमगर तेरे लिए।
वो करें भी तो किन अलफ़ाज़ में शिकवा तेरा
जिनको तेरी निगाह-ए-लुत्फ़ ने बरबाद किया ।
इसका रोना नहीं क्यों तुमने किया दिल बरबाद
इसका ग़म है कि बहुत देर में बरबाद किया।
दुआ बहार की माँगी तो इतने फूल खिले
कहीं जगह ना मिली मेरे आशियाने को।
सुना है ग़ैर की महफ़िल में तुम न जाओगे
कहो तो आज सजा लूँ गरीबखाने को।
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नैना तुमरे प्यारे लगत हैं
मैंने क्या-क्या ज़ुल्म सहे सितमगर तेरे लिए।
तुम बिन लागे सूनी सेजरिया
तुम बिन काटे रैन गुजरिया।
मैंने क्या-क्या ज़ुल्म सहे सितमगर तेरे लिए।
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