Their Words, Their Voice

Ghazals, Nazms....

Friday, July 15, 2005

गर्दिश-ए-दौराँ का शिकवा था मगर इतना न था

Lyricist: Ashoor Kazmi (I am not sure of this name)
Singer: Ghulam Ali

गर्दिश-ए-दौराँ का शिकवा था मगर इतना न था
तुम न थे तब भी मैं तनहा था मगर इतना न था।

दोस्ती के नाम पर पहले भी खाए थे फ़रेब
दोस्तों ने दर्द बख़्शा था मगर इतना न था।

तुमसे पहले ज़िन्दग़ी बे-कैफ़ थी बेनाम थी
रास्तों में घुप अँधेरा था मगर इतना न था।

तुम मिले तो बढ़ गई कुछ और दिल की बेकली
सिलसिला था बे-यकीन का मगर इतना न था।

हर तरफ चर्चे हैं अब मेरे तुम्हारे नाम के
शहर में 'आशूर' रुसवा था मगर इतना न था।

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