भटका भटका फिरता हूँ
Lyricist: Farhat Shahzad
Singer: Ghulam Ali
भटका भटका फिरता हूँ
गोया सूना पत्ता हूँ।
साथ ज़माना है लेकिन
तनहा तनहा रहता हूँ।
धड़कन धड़कन ज़ख़्मी है
फिर भी हँसता रहता हूँ।
जब से तुमको देखा है
ख़्वाब ही देखा करता हूँ।
तुम पर हर्फ़ न आ जाए
दीवारों से डरता हूँ।
मुझपर तो खुल जा 'शहज़ाद'
मैं तो तेरा अपना हूँ।
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हर्फ़ = blame, censure, reproach, stigma
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