Their Words, Their Voice

Ghazals, Nazms....

Wednesday, June 29, 2005

ये दिल, ये पागल दिल मेरा

Lyricist: Mohsin Naqvi
Singer: Ghulam Ali

अंदाज़ अपने देखते हैं आईने में वो
और ये भी देखते हैं कि कोई देखता न हो।
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ये दिल, ये पागल दिल मेरा क्यों बुझ गया, आवारगी
इस दश्त में इक शहर था वो क्या हुआ, आवारगी।

कल शब मुझे बेशक्ल सी आवाज़ ने चौंका दिया
मैंने कहा तू कौन है उसने कहा आवारगी।

इक अजनबी झोंके ने जब पूछा मेरे ग़म का सबब
सहरा की भीगी रेत पर मैंने लिखा आवारगी।

ये दर्द की तनहाइयाँ, ये दश्त का वीराँ सफ़र
हम लोग तो उकता गये अपनी सुना, आवारगी।

कल रात तनहा चाँद को देखा था मैंने ख़्वाब में
'मोहसिन' मुझे रास आएगी शायद सदा आवारगी।

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दश्त = Desert
शब = Night
सबब = Reason

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1 Comments:

At 30/6/05 8:50 PM, Blogger Jaya said...

Thanks :-) Its updated!

 

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