Their Words, Their Voice

Ghazals, Nazms....

Tuesday, August 09, 2005

जो थके थके से थे हौसले

Lyricist:
Singer: Mehdi Hasan


जो ग़म-ए-हद से दूर थे वो ख़ुद अपनी आग में जल गए
जो ग़म-ए-हद को पा गए वो ग़मों से हँस के निकल गए।

--

जो थके थके से थे हौसले वो शबाब बन के मचल गए
जो नज़र नज़र से गले मिली तो बुझे चिराग भी जल गए।

ये शिक़स्त-ए-दर्द की करवटें भी बड़ी लतीफ़-ओ-जुनून
मैं नज़र झुका के तड़प गया वो नज़र बचा के निकल गए।

न ख़िज़ाँ में है कोई तीरगी न बहार में है कोई रोशनी
ये नज़र-नज़र के चिराग हैं कहीं बुझ गए कहीं जल गए।

जो सँभल-सँभल के बहक गए वो फ़रेब ख़ुर्द-ए-राह थे
वो मक़ाम इश्क को पा गए जो बहक बहक के सँभल गए।

जो खिले हुए हैं रबिश-रबिश वो हज़ार हुस्न पे मर कहीं
मग़र उन गुलों का जवाब क्या जो क़दम-क़दम पे कुचल गए।

न वो .... गम न बना न वो दाग़-ए-दिल न वो आरज़ू
जिन्हें एतमाद-ए-बहार था वो ही फूल रंग बदल गए।

--
Am not sure if I have heard लतीफ़-ओ-जुनून correctly. Further, what is the meaning of रबिश-रबिश? And could not at all make out what was there in the beginning of the last sher न वो .... गम न बना.

Any help?

--
शिक़स्त = Breach, Breakage, Defeat
ख़िज़ाँ = Autumn, Decay
तीरगी = Darkness
ख़ुर्द = Little
एतमाद = Faith

Categories:

0 Comments:

Post a Comment

<< Home