बहारों के चमन याद आ गया है
Lyricist: Rifat Sultan
Singer: Ghulam Ali
अब मैं समझा तेरे रुखसार पे तिल का मतलब
दौलत-ए-हुस्न पे दरबान बिठा रखा है।
--
बहारों के चमन याद आ गया है
मुझे वो गुलबदन याद आ गया है।
लचकती शाख ने जब सर उठाया
किसी का बाँकपन याद आ गया है।
मेरी ख़ामोशियों पर हँसने वालों
मुझे वो कमसुख़न याद ऐ गया है।
तेरी सूरत को जब देखा है मैंने
उरूज-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न याद आ गया है।
मिले वो बन कर अजनबी तो 'रिफ़त'
जमाने का चलन याद आ गया है।
--
Do not know what उरूज-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न mean. Any help?
--
बाँकपन = Slyness
कमसुख़न = One who speaks less
उरूज = Ascent
Categories: RifatSultan
0 Comments:
Post a Comment
<< Home