Their Words, Their Voice

Ghazals, Nazms....

Thursday, July 28, 2005

बहारों के चमन याद आ गया है

Lyricist: Rifat Sultan
Singer: Ghulam Ali

अब मैं समझा तेरे रुखसार पे तिल का मतलब
दौलत-ए-हुस्न पे दरबान बिठा रखा है।

--

बहारों के चमन याद आ गया है
मुझे वो गुलबदन याद आ गया है।

लचकती शाख ने जब सर उठाया
किसी का बाँकपन याद आ गया है।

मेरी ख़ामोशियों पर हँसने वालों
मुझे वो कमसुख़न याद ऐ गया है।

तेरी सूरत को जब देखा है मैंने
उरूज-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न याद आ गया है।

मिले वो बन कर अजनबी तो 'रिफ़त'
जमाने का चलन याद आ गया है।

--

Do not know what उरूज-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न mean. Any help?

--

बाँकपन = Slyness
कमसुख़न = One who speaks less
उरूज = Ascent

Categories:

0 Comments:

Post a Comment

<< Home