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Ghazals, Nazms....

Wednesday, June 22, 2005

किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

Lyricist: Sudarshan Faakir
Singer: Chitra Singh

किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी
मुझको अहसास दिला दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।

मेरे रुकने से मेरी साँसें भी रुक जाएँगी
फ़ासले और बढ़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।

ज़हर पीने की तो आदत थी ज़मानेवालों
अब कोई और दवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।

चलती राहों में यूँ ही आँख लगी है 'फ़ाकिर'
भीड़ लोगों की हटा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।

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